8TH SEMESTER ! भाग-17 ( Vengeance~ प्रतिशोध )
Chapter-6: Vengence~ प्रतिशोध
यदि ये सब कॉलेज के अंदर होता तो शायद आज वो सब जेल मे होते,लेकिन ऐसा नही हुआ था और कॉलेज के बाहर जो कुछ भी हुआ उसकी रेस्पॉन्सिबिलिटी कॉलेज की नही होती....मैं बहुत देर तक वैसे ही निर्वस्त्र ग्राऊंड मे पड़ा रोता रहा, सुबकता रहा... इस दौरान कुछ लोग वहा से गुजरे भी.. मुझे देख रुके भी.. पर मैने किसी की तरफ नही देखा.. और जब लगा की मुझे लेने यहाँ कोई नही आने वाला तो... अपने कपडे पहन कर ग्राउंड से अपने हॉस्टल की तरफ चला, उस वक़्त मैं अंदर से टूट चुका था...रोते-रोते आँसू ख़तम हो गये थे, पर फिर भी रोना चाहता था... आँखे सुर्ख लाल थी और जख्म भी...
ग्राउंड से निकलकर मैं सीधे हॉस्टल की तरफ बढ़ा, रूम का दरवाज़ा पहले से ही आधा खुला हुआ था,जिसे पूरा खोलकर मैं अंदर आया...
"क्या हुआ...."घबराई हुई आवाज़ मे अरुण तुरंत खड़ा होकर, धुल मे सने मुझे देखता रहा... लेकिन मैं कुछ नही बोला या फिर कहे कि मुझमे कुछ बोलने की हिम्मत ही नही थी ,उस वक़्त यदि मैं कुछ बोलता तो यक़ीनन मैं रो पड़ता...इसलिए मैं उसी हालत मे सीधे जाकर अपने बेड पर औधा लेट गया और अपनी आँखे बंद कर ली....पूरा शरीर दर्द और उन चुड़ेलों के सॅंडल की खरोचो से जल रहा था....
"ये क्या हो गया.. .वो भी मेरे साथ...."उस वक़्त ना तो मुझे एश का ख़याल था और ना ही दीपिका मैम का....उस वक़्त मैं ये भी भूल गया था मेरे भाई ने ये शहर छोड़ने से पहले कुछ नसीहत दी थी, दिल और दिमाग़ मे जो ख्याल इस वक़्त मुझे आ रहे थे वो था प्रतिशोध का ....मैं कुछ बड़ा धमाका करना चाहता था जिसकी चपेट मे आज ग्राउंड मे मौजूद सभी लोग आ जाए....
"बदला तो मै लेकर रहूँगा , फिर जो होगा देखा जाएगा....."कमर बहुत ज़ोर से दर्द कर रहा था,लेकिन फिर भी मैं उठकर बैठ गया और बड़बड़ाया
" तू आराम कर अरमान..."
"बहुत सह लिया इन चूतियो को, तू देख मैं कल इनकी कैसे लेता हूँ...."खड़े होकर मैने कहा और अपना शर्ट उतारने लगा,...
"अबे किस चीज़ से मारा है तुझे...?"जब मैने शर्ट उतारा तो मेरे पीठ के जख्म देख अरुण पूछा
"वो पाँचो चुड़ैल सॅंडल पहन कर नाच रही थी ,साली वेश्याएं...."उनका ख्याल आते ही मै गुस्से से काँप उठा और बदले की भावना जो मेरे अंदर घर कर चुकी थी, उसे पल डर पल बढ़ाते हुए नहाने सीधे बाथरूम की तरफ की गया.....
उस रात कोई सीनियर हॉस्टल मे नही आया और उस दिन मुझे हॉस्टल मे सबसे अजीब जो बात लगी वो ये थी कि भूपेश (बी-एच-यू)उस दिन रात भर किसी से फोन मे बात करता रहा ,वो किसी जुगाड़ की बात कर रहा था.....उस रात नींद मुझसे कोसो दूर थी, मैं बस यही चाह रहा था कि जल्दी से जल्दी सुबह हो और मैं उन कुतियों से से मिल सकूँ.. जिन्होंने मुझे निर्वस्त्र करके अपने सैंडल्स के निशान मेरी पीठ मे छोड़े है.. दाई -माई एक कर दूंगा आज. आज उन वेश्याओं को श्री अरमान का असली रूप दिखाना पड़ेगा ....
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"माँ कसम,सुन कर दुख हुआ...."हर रोज़ की तरह वरुण आज भी मुझसे पहले उठा और चाय बनाने के लिए गॅस ऑन करते हुए बोला...."ला दूध की बोतल पकड़ा...."
"अरुण, उधर दूध की बोतल रखी हुई है, ला दे..."
अरुण से मैने दूध की बोतल माँगी थी लेकिन उसने मुझे दारू की बोतल पकड़ा दी और बोला कि एक कप चाय मेरे लिए भी बना दे....
"अबे उल्लू , मुझे हनी सिंग समझ रखा है क्या, जो चिप्स मे दारू डालकर खाउन्गा और फिर दोनो हाथ उपर करके उपर-उपर इन थे एयर...वाला गाना गाउन्गा,...?"
"मतलब..."सर खुजाता हुआ वो बोला...
"मतलब की चाय दूध से बनती है शराब से नही...."
"ओह सॉरी ! ध्यान ही नही रहा...."
शराब की बोतल किनारे रख अरुण ने दूध का बोतल मुझे पकड़ाया और मैने वरुण को.... चाय बनाते हुए वरुण ने मुझसे पुछा....
"तो फिर उसके अगले दिन कुछ धमाका किया ,या एक बार फिर उनसे मार खाया...?"
"उसके अगले दिन...? Well....."मैं उस वक़्त थोड़ा और सोना चाहता था,लेकिन वरुण को कुछ ज़्यादा ही उत्सुकता थी आगे जानने की ,इसलिए मुझे अपने यादों के समुंदर मे एक बार फिर तैरना पड़ा......
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"आज क्या बोलेगा उनसे, वो सब तो हर दिन की तरह आज भी वहाँ खड़ी है...."
मैं और अरुण कॉलेज के पीछे वाले गेट से कुछ ही दूरी पर खड़े थे.....वैसे तो एक पढ़ने वाले स्टूडेंट को गालियाँ नही बकनी चाहिए ख़ासकर के लड़कियो को....लेकिन कल उन्होने जो कुछ भी मेरे साथ किया था उसने मेरे अंदर की सभी अच्छी, बुरी चीजों के समझ को मानो हर लिया था.
"सिगरेट कैसे पीते है, जल्दी से बता..."मैने अरुण से पूछा
"सिंपल...छोटा कश लेना और फिर धुए को अंदर खींच लेना....."
"ला सिगरेट दे, ट्राइ करता हूँ..."
"वो तो नही है...."
"साले, गरीब... चल कोई बात नही... आजा..."मैने कॉलर उपर किया और उन चुड़ैलों की तरफ बढ़ा.....पीठ और कमर मे बहुत दर्द था, इसलिए हॉस्टल से निकलते वक़्त मैं थोड़ा झुक कर और लंगड़ा कर चल रहा था...लेकिन उस वक़्त मैने खुद को स्ट्रेट किया, जिससे पीठ मे रक्त के थक्के के टाइट पड़ने के कारण जोरदार जलन हुई, पर मै ऐसे ही अपनी पीठ सीधी किये हुए उनकी तरफ बढ़ा.... जैसे - जैसे मैं उनकी तरफ बढ़ रहा था बीते दिन ग्राउंड का हर एक मोमेंट मेरी आँखो के सामने लाइव प्रसारण हो रहा था...
"गुड मॉर्निंग, मैम ...."उन चुड़ैलों के समक्ष खड़ा होकर मैने सीधे यही कहा...
"" हाहाहा... ये देखो... ये फिर आ गया, सोचा था महीने भर कॉलेज नही आ पायेगा... पर हिम्मत तो देखो. कल का भूल गया क्या,जो आज आ गया..."
विभा के इतना बोलते ही मुस्कुराते हुए मैने उसे देखा और फिर जानबूझकर अपनी नज़र उसके सीने पर टिकाई और अपने होंठो पर जीभ फिराते हुए मैने विभा से कहा....
"रसीले आम... कच्चे है या पाक गए...?...."
"बेबेबे...बेशर्म .."उसने मुझे थप्पड़ मारने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया, तो मैने तुरंत उसका हाथ पकड़ लिया...
"सुन बे छिनार, अपना हाथ संभाल..."उसे पीछे धक्का मारते हुए मैने कहा....
मेरी इस हरकत से वहाँ सिगरेट पी रही एक लड़की के हाथ से सिगरेट छूट कर ज़मीन पर गिर गया , जिसे उठाकर मैने एक छोटा सा कश खींचा जैसा कि अरुण ने बताया था और धुआं उसके चेहरे पर पर छोड़ते हुए बोला, उसके चेहरे पर थूक दिया...
"क्यों रे कुतिया... तू भी थी ना कल ग्राउंड मे... एक सिगरेट नही संभाल पा रही है तो फिर मुझे मेरे उसको कैसे संभालेगी... तेरी नही लूंगा... तू रिजेक्ट... चल बाजू हट.. हरामीन ."
मैं जब उन पाँचो को बक रहा था तब शुरू -शुरू मे अरुण दूर खड़ा तमाशा देख रहा था, लेकिन बाद मे वो भी वही आ गया और विभा को देखकर बोला....
"एक बात बता तू, तुझे प्यार करने के लिए वो गधा ही मिला..."और हम दोनो हंस पड़े, अरुण ने बोलना जारी रखा"तेरे उस बाय्फ्रेंड वरुण को best chutiya student of the college का अवार्ड मिलना चाहिए....साला 7 साल से इंजीनियरिंग. कर रहा है.... इतने मे तो एक मंद बुध्दि व्यक्ति दो बार कर ले... लेकिन उस साले से एक बार भी नही हो रहा... खैर, उसकी कोई गलती नही.. विभा.. अब जब तेरी जैसी चुतिया लड़की के साथ रहेगा तो यहीच होगा ना...."
हम दोनो एक बार फिर ज़ोर से हँसे, आज हँसने की बारी हमारी थी, कल जैसे मैं शांत खड़ा सह रहा था आज वही हालत उन पाँचो की थी.....
"सुनो बे वेश्याओं ....आज के दोबारा इधर दिखी, या किसी जूनियर को परेशान करते हुए मुझे कॉलेज मे कही दिख गई तो वही पटक के पेलुँगा और ऐसा पेलुँगा की सात पुश्ते pregnant पैदा होंगी.......चल भाग यहा से.... कुतिया, साली, हरामजादी..."
"रूको तुम दोनो , आने दो वरुण और उसके दोस्तो को..."एक लड़की ताव मे बोली.....
हम उन गधे सीनियर्स की माल को छेड़ा था ,जिससे मामला बाद मे गरम तो होना ही था...अब लड़ाई तो होनी ही थी...तो फिर मेरे खास दोस्त अरुण ने मन मे विचार आया कि जब युद्ध होना ही है तो क्यूँ ना फुल मज़ा ले लिया जाए और उसके बाद मैने ज़मीन से धूल उठाई, अरुण गेट के पास खड़ा हो गया था.. ताकि वो भाग कर कॉलेज के अंदर ना जा पाए और इधर दूसरी तरफ तो मै था ही... तो मैने धुल उठायी और सबसे पहले विभा के चेहरे पर धुल को रगड़ा, वो गुस्से से पूरी लाल होकर मुझे घूरती रही,.... सिर्फ घूरती रही.. ना तो वो एक शब्द कुछ बोली और ना ही कोई हरकत की...
"ये उस दिन के समोसे का बदला और कल वाले कांड के लिए....."मैं बोलते-बोलते रुक गया, क्यूंकी हमे बचपन से यही सिखाया जाता है लड़कियो की इज़्ज़त करो उन्हे पूरा सम्मान करो....लेकिन जब लड़किया ही तुम्हारी मारने पर तुली हो तब क्या करना चाहिए ये किसी ने आज तक नही बताया... Actually, शायद क्या करना चाहिए.. ये बताने के लिए ही मेरा जन्म हुआ है.... खैर, मैने बारी -बारी उन सबको बेइज़्ज़त किया.. माँ -बहन की गाली भी दी...
"अब छोड़ दे बे अरमान वरना यही रो पड़ेंगी ये..."
"अले.. ले.. ले... विभा मैम और उसकी छिनार सहेलियों को बुरा लगा???? अच्छा कोई बात, जाओ हो गया... तुम पाँचो को मैने माफ़ किया और जिसको बुलाना है बुला लेना..... Just Remember the Name, Bitches... The Name is AR-Man... Arrogant Reputed man "
मेरी अन्य कहानिया :
१. समुन्दर का शिकारी
२. ये लाल रंग (लघु कथा )
३. फ्रेम ऑफ़ रियूनियन (लघुकथा )
४. लॉकेट (लघुकथा )
Kaushalya Rani
25-Nov-2021 09:11 PM
Nice part
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Sana khan
28-Aug-2021 04:09 PM
Nyc 🙌
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Fiza Tanvi
27-Aug-2021 12:22 PM
Nice p
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